Sunday, March 20, 2011

होली की शुभकामनाओं के साथ.

आज होली पर मैं आशा करती हूँ - इश्वर सभी को जीवन में रंग संयोजन की कला की सीख दे.

 एक बार किसी ने मेरे भाई , सृजेश से पुछा - आपका फेवरेट कलर कौन सा है? तो सृजेश बोला - सभी कलर मेरे फेवरेट हैं. पूछने वाले को संतुष्टि नहीं हुई तो वह फिर बोला , "नहीं कोई एक बताना पड़ेगा." तो सृजेश मुस्कुराया और बोलने लगा , "मान लो की मुझे नीला या काला कलर पसंद है , और मेरे कमरे की सारी चीज़ें अगर काले कलर की हों , तो क्या अच्छा लगेगा?" पूछने वाला झट से बोला , "नहीं". तो सृजेश बोला , "ज़िन्दगी में एक ही रंग हो , भले ही अच्छा हो , तब भी ज़िन्दगी रंगीन नहीं हो सकती. ज़िन्दगी को रंगीन बनाने के लिए सभी रंग उचित मात्र में जरुरी हैं. हैं न...?" , अब उसका दोस्त उसकी बात की गहराई समझ गया था. और यही तो रंग संयोजन है - सभी रंग सही अनुपात में होना.

आज होली के दिन मैं और मम्मी साहित्य चर्चा  में लगे हुए थे की मम्मी ने एक बहुत ही बढ़िया बात बतायी. सुख और दुःख सभी के जीवन में आते हैं. हम खुश तो होना चाहते हैं पर दुखी कोई नहीं होना चाहता. लेकिन अगर सुख शाश्वत है तो दुःख भी उसी सुख का दूसरा भाग है. और सिर्फ संतुलन यानी बेलेंस ही एक उपाय है जिससे दुःख को कम किया जा सकता है. जब सुख का समय हो , तो दुःख का एक क्षण याद कर लो - सुख अपने आप लेवल पर आ जाएगा. और जब दुःख का समय हो तो सुख का एक क्षण याद कर लो , दुःख अपने आप  कम हो जाएगा. 

ज़िन्दगी , किसी ने सच कहा है की  ,एक पाठशाला है. और फिर "सुख-दुःख के  संतुलन" का पाठ तो बहुत ही ख़ास है. गीता में भी इसका जिक्र है. होली से बढ़िया दिन और क्या हो सकता है इसे याद करने का. 

इस होली को ही नहीं हर पल को ख़ास बनाइये. कुछ सिखए , कुछ सिखाये. :)

होली की शुभकामनाओं के साथ.


सोम्या.

No comments:

Post a Comment